The Greatest Guide To Shodashi
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The ability point in the course of the Chakra displays the highest, the invisible, as well as elusive Heart from which all the figure Bhandasura and cosmos have emerged.
The graphic was carved from Kasti stone, a rare reddish-black finely grained stone used to manner sacred visuals. It had been brought from Chittagong in present day Bangladesh.
Goddess is popularly depicted as sitting around the petals of lotus that is definitely saved around the horizontal overall body of Lord Shiva.
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।
ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः
षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। check here तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या
तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥
हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
The philosophical Proportions of Tripura Sundari prolong over and above her Bodily attributes. She represents the transformative electricity of magnificence, which often can direct the devotee from your darkness of ignorance to The sunshine of data and enlightenment.
Celebrations like Lalita Jayanti highlight her significance, the place rituals and offerings are created in her honor. The goddess's grace is thought to cleanse past sins and direct 1 towards the last word aim of Moksha.
बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥